हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, खोज़ा शिया इस्ना अशरी जामिया मस्जिद पलागली मुम्बई में 15 शाबान 1446 हिजरी को ईमाम ज़माना (अ) की विलादत का जश्न मनाया गया। इस मौके पर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी की इमामत में जुमा की नमाज़ अदा की गई।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी ने नमाज़ियों को संबोधित करते हुए कहा: "आज एक बड़ी ख़ुशी की बात है, क्योंकि आज जुमा का दिन भी है और ईमाम ज़माना (अ) का यौम-ए-विलादत भी है। आमतौर पर 15 शाबान जुमा के दिन नहीं आता, लेकिन आज यह तारीख़ जुमा से मेल खा रही है, और यह सालों के बाद हुआ है। यह दिन वह है जिसका वादा किया गया था और यह दिन इस्लाम की ख़ुशी और काफ़िरों की हार का दिन है। आज काे दिन अल्लाह तआला ने हमे ऐसा ईमाम अता किया जिनका कोई सानी नहीं है।"
"यह वह ईमाम हैं जो सभी नबियों के वादों को पूरा करेंगे, उनके मिशन को आख़री मंज़िल तक पहुँचाएंगे, काफ़िरों और मुनाफ़िक़ों को हराएंगे, और दुनिया में इंसाफ़ फैलाएंगे। इस दिन के मौके पर हम सबसे पहले आइम्मा ए अत्हार (अलैहिमु स्सलाम), उनके ज़ुहूर का बेचैनी से इंतेज़ार करने वाली सिद्दीक़ा ए ताहेरा तिमा ज़हरा (स) और उनके जन्म की बार-बार ख़ुशखबरी देने वाले पैगंबर मुहम्मद (स) को और अपने मराज ए इकराम और विद्वानो और इस मार्ग मे सेवा करने वालो के साथ साथ आप तमाम हजरता को मुबारकबाद पेश करते हैं। हम खुदा से दुआ करते हैं कि हमें ईमाम ज़माना (अ) की सही पहचान दें और हमें उनके सच्चे इंतजार करने वालों में शामिल करें।" और हमें उन विशेषताओं और गुणों से सुसज्जित करे जिनके द्वारा हम इमाम ज़माने के सेवकों, परिचारकों और कफशबरदारो में गिने जा सकें, ताकि जब हम उनसे मिलें तो हमें उनसे मिलने में शर्म न आए और न ही उन्हें हमें देखकर परेशानी हो। ईश्वर अल्लाह तआला हमें इन सभी चीज़ों में बेहतरीन सफलता प्रदान करे।
मौलाना ने ईमाम ज़माना (अ) की एक अहम विशेषता की ओर इशारा करते हुए कहा: "यह ईमाम ऐतिहासिक तौर पर जनाब आदम से लेकर पैग़म्बर तक और इमाम अली (अ) से लेकर इमाम हसन असकरी (अ) तक सबसे अलग हैं, जिनमें से हर एक ने एक वक्त पर इंसाफ़ और हक़ का पैगाम दिया, लेकिन ईमाम ज़माना (अ) को ही यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह दुनिया भर में इंसाफ़ और ऩ्याय की बहाली करें।" इमाम ज़माना (अ) ज़ुहूर के बाद केवल किसी एक जगह को ही इंसाफ़ से नहीं भरेंगे, बल्कि वह पूरी दुनिया में, हर कोने में, इंसाफ़ को क़ायम करेंगे। किसी भी जगह पर ज़र्रा बराबर भी जुल्म नहीं होगा।"
मौलाना ने ईमाम ज़माना (अ) के ज़ुहूर के बाद के हालात की ओर इशारा करते हुए कहा: "जब ईमाम ज़माना (अ) ज़ुहूर करेंगे, तो ज़मीन पर पानी की सतह बढ़ जाएगी, और ज़मीन अपने भीतर छुपे हुए खज़ानों को बाहर निकालेगी। दरख़्त फलदार हो जाएंगे, बीमारियाँ और रोग खत्म हो जाएंगे। ये सभी परेशानियाँ इंसानों के गुनाहों के कारण हैं, लेूकिन जब गुनाह और जुल्म का खात्मा होगा और इंसाफ़ का शासन कायम होगा, तो ज़मीन पर आले- मुहम्मद (अलैहिमुस्सलाम) की हुकूमत स्थापित होगी, और तब सभी चीज़ें अपनी पूरी खुशहाली से अपना फल देंगी।"
इस तरह मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने ईमाम ज़माना (अ) के आगमन के महत्व और उनके द्वारा लाए जाने वाले बदलावों पर प्रकाश डाला, और सभी को इस महान दिन की मुबारकबाद दी।
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